शनिवार, 12 दिसंबर 2015

जाते ।

छुपाए भी नही जाते , निकाले भी नही जाते |
मेरी आँखो से ये आँसू, सँभाले भी नही जाते |
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मुहब्बत ने लगा के खोट जबसे, है मुझे छोड़ा
मेरी तकदीर के सिक्के, उछाले भी नही जाते |
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निकाला चाँद ने जबसे, मुझे महफ़िल से है यारो
सितारों के कभी दर पे, उजाले भी नहीं जाते |
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मुजावर क़ब्र का मेरी, रफीक बन बैठा जाने क्यूं
चढाने हर जगह फूल, ह़ुस्न वाले भी नहीं जाते |
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उठी है टीस दिल मे दर्द के, उठते सवालो से
कहा से जख्म लाते हो, सँभाले भी नही जाते |
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: : : : : : Rahish pithampuri : : : : : :

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