गुरुवार, 20 अप्रैल 2023

नाले में

रात के अंधेरे दिन के उजाले में
कि पूरा पूरा वक्त गुजारते हैं खाले में
कि बस्ती के डॉन और लाले दी जान 
हां आपको मिलेंगे ऑलवेज नाले में

नाले में मिलेंगे सभी अच्छे बुरे छोकरे 
ठोक के आया कोई आया खा के ठोकरें
बच्चे जवान और बुड्ढे तो ठीक
बड़े-बड़े दिग्गज नाले में आके भोंकरे

भोंकते हैं ठंड गर्मी काटते हैं सावन
यहीं पे मनाते त्यौहार सभी पावन
होता है फर्स्ट क्लास अधर्म का नाश है 
नाले में ही जलता है हर साल रावण

नाले में शहंशाह जो घर में गुलाम है
250 की जॉब 300 की दारू आम है
शादी बियाह कार्यक्रम को लंबा मैदान है
नाला सभी बोलते हैं नाला सिर्फ नाम है

किसी से डरता नी साले में रहता नी दूध के चाले में 
छपरी नई फोन पे बनने का मुझसे भीड़ना है तो आजा बेटा नाले में

तू तबतक सेफ है बाप के गाले में 
कि जब तक कैद है फैमिली ताले में
कि नूब के डर को लगते हैं पर
तू आ के देख ले वनमंथ नाले में

फर्क नी पड़ता अमीर या गरीब से
कोई कमीनों तो कोई शरीफ़ छै
बुड्ढों से ज्यादा है छुट्टों का तेवर
गालियां निकलती है बच्चों की जीभ से

ताश के पैसों से महफिले लूटना
वॉल के पीछे जुआ और मूतना
करते अवॉइड मनाना और रूठना
मां भेन करते हैं देखी भले छूटना

मैं दम मारु बम मारू अंखियों में पावर
लेट नाइट लेता हूं मैं बोतलों से शावर
कि मौत की रोज में करता हूं खोज 
गाड़ियों से मांड दिए सड़को पे टायर

किसी से डरता नी साले में रहता नी दूध के चाले में 
छपरी नई फोन पे बनने का मुझसे भीड़ना है तो आजा बेटा नाले में

नाले के स्टार्ट से बस्ती के लास्ट तक
इकलौता कान्हा गोपियों में खासकर
पैर दबाते मेरे तेरे जैसे मजनू 
इश्क का लव्य मुझे बोले सभी मास्टर

झुक गई नजरें तो झूकी रहे गर्दन
नाले में माथे आती है पलटन जबरन 
शहरों के नायकों को करतें हैं गायब
और फैमिली भी करतीं हैं अर्थी पे दर्शन

भेद का भाव नहीं छोटी बड़ी जात में 
जात वाले रहते हैं हाथ डाले हाथ में
बड़े-बड़े सर फूटे छोटी मोटी बात में 
नाले में आना तो बेटा रहना औकात में

पंगा अकड़ में लिया जो कभी खाले में 
तो बेटा तू छुप जाना वल्ड के गाले में
जमीन और आसमा से खोज के निकालेंगे
खरीद के मार देंगे गाड देंगे नाले में

किसी से डरता नी साले में रहता नी दूध के चाले में 
छपरी नई फोन पे बनने का मुझसे भीड़ना है तो आजा बेटा नाले में
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